रविवार, 9 अगस्त 2009

"मुद्रा" ददाति: "विद्या"








कहा गया है की "विद्या ददाति विनयम " अर्थात विद्या विनय देती है, जिससे मनुष्य में सदगुण धारण कराने की छमता उतपन्न होती है और वोह विवेकवान बनता है स्वस्थ शरीर के लिए श्वास्थ दिमाग का होना आवाश्यक है और दिमाग को स्वष्ट बनने के साधन हैं अच्छे विचार, सदगुण और स्वालम्बी मन जिसकी प्राप्ति हमें विद्या के द्वारा होती है ! "वैशेषिक" दर्शन में कहा गया है -
"कारण गुन पूर्वक: कार्य गुणों दृष्टा"
अर्थात उपादान कारन के गुणानुसार कार्य में गुन होते है !
जैसे घडे के उपादान मिटटी के के गुणानुसार घडे में गुन वर्तमान है ,
उसी प्रकार जिस मनुष्य के पास जिस प्रकार की विद्या होगी उसका दिमाग उसी विचार वाला होगा ! अत: एक सुंदर जीवन के निर्माण के लिए अच्छे विचार, सद गुन की आवश्यकता पड़ती है, अच्छे विचारों के लिए विनय की आवश्यकता होती है और विनय के लिए विद्या की जरुरत होती है अब सवाल यह है की विद्या के लिए किस वास्तु की आवश्यकता होती है, अत: वर्तमान समय को देखते हुए यह ज्ञात होता है की मुद्रा ददाति विद्या अर्थात मुद्रा विद्या देती है इससे यह सिध्ध होता है की एक सुंदर एवं सफल जीवन के लिए मुद्रा की जरुरत है , जिसके पास मुद्रा है उसे सफल जीवन बनाने में ज्यादा कठिनाइयों का सामना नही करना पड़ता , लेकिन जो गरीब है जिसके घर में दो जून की रोटी की समस्या है वोह कैसे एक सफल जीवन का ख्वाब देख ले , शायद इसी लिए किसी अर्थ शास्त्री ने कहा है "एक गरीब का बच्चा क़र्ज़ में पैदा होता है और क़र्ज़ में ही पलता और बढ़ता है एवं क़र्ज़ में मर जाता है " वर्तमान समय में महगाई के कारन शिच्छा भीइतनी मंहंगी हो गई है की शायद ही कोई गरीब विद्या को प्राप्त कर सके !
आज सकूलों में फीस बढ़ा दी गई है साल दर साल सिच्छा भी मन्ह्न्गाई की की वजह किसी गरीब का ख्वाब मात्र बनकर रह गई है !
अगर कोई गरीब अपने बच्चे को किसी सरकारी स्कूल के द्वारा सिच्छा दिला भी दे तो कोई फायदा नही होता वोह जिंदगी भर अपने बच्चे को डाक्टर या इंजीनीयर बनाने का सिर्फ़ ख्वाब ही देख सकता है आज ज्यादा तर सरकारी विद्यालयों में १२ वीं तक कला वर्ग की सिच्छा प्रदान कराई जा रही है जिसका वर्त मान समय में शायद ही कोई महत्व हो !
आज की मांग विज्ञानं वर्ग है जो किसी गरीब की पंहुच से कोसों दूर है यदि कोई गरीब व्यक्ति क़र्ज़ लेकर अपने बच्चे को १२ वीं विज्ञानं वर्ग से करवा भी दे तो उससे कोई फायदा नही होता वोह जिंदगी भर सिर्फ़ ख्वाब ही देखता रहता है की वोह भी डाक्टर या इंजीनीयर बनेगा एक गरीब का लड़का चाहे कितना ही प्रतिभा शाली क्यूँ न हो वोह अपने घर की परिस्थितियों से मजबूर हो कर अल्पायु से ही धनार्जन के बारे में सोंचने लगता है शायद इसी लिए आज तक कोई गरीब गरीब आगे नही बढ़ सका उसकी प्रतिभा उसकी मेहनत उसकी लगन घर के परिस्थितियों के आगे अपने घुअताने टेक देती है और उसके ख्वाबों की अकाल म्रत्यु हो जाती है !
अत: मई यह चाहता हूँ की भारत सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए कोई ऐसा कदम उठाना चाहिए जिससे गरीबों का कुछ तो भला हो और उसके ख्वाब आर्थिक स्थितियों के कारन दम न तोडें , महात्मा गाँधी का सपना था की गरीबी को मिटाया जे गरीब को नही उनका मानना था की अगर गरीब तरक्की करेगा तो देश भी आगे बढेगा ,
अत: में कहता हूँ की मेरे इस लेख को नही महात्मा गाँधी के सपने को पूरा करने के लिए भारत सरकार को कदम उठाना चाहिए , जिससे एक गरीब का ख्वाब सिर्फ़ ख्वाब बन कर न रह जाए वोह भी हकीकत बने !
"मुनि कुमार संतोष प्यासा "


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