बुधवार, 2 सितंबर 2009

बढ़ती "महंगाई" और निष्क्रिय "सरकार"







भारत की उन्नति और गरीबों की तरक्की के मार्ग का मुख्या बाधक "महंगाई" ही है , पिचले वर्ष की अपेछा इस वर्ष "महंगाई" का औसत दो गुना हो गया है ! सन २००८ में एक किलो ग्राम चीनी का मूल्य १८ रु था और वर्तमान समय में ३६ रु है इसी प्रकार गत वर्ष एक किलोग्राम दाल का मूल्य ४० रु था और इस वर्ष ८० रु है , पिअछाले वर्ष ५ किलो ग्राम आलू का मूल्य ४५ रु थी और इस वर्ष ७० रु है , टमाटर भी गत वर्ष ७ रु किलो में मिल जाता था जो की इस वर्ष ५ रु २५० ग्राम ही मिलता है !
मेरे कहने का तात्पर्य यह है की लगभग हर वस्तु के मूल्य दो गुने की वृद्धि हुई है , जो लगातार बढ़ती जा रही है !और मुझे सरकार भी शांत दिखाई दे रही है , सरकार ने अभी तक महंगाई को काबू में कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है !
इस महंगाई से सरकारी पदाधिकारिओं को ज्यादा समस्या नहीं हो रही होगी क्युकी सरकार द्वारा लागु किए गए छठे वेतन आयोग से सरकारी पदाधिकारियों के मासिक वेतन में आथिर्क वृद्धि हुई है जिससे की वे इस महंगाई से निपटने में सछम है !लेकिन मजदूर वर्ग और छोटे व्यापारियों का तो जीना दूभर हो गया है वो इस महंगाई से लड़ने में असमर्थ हैं ! एक मजदूर जिसकी मासिक आय महज ३००० रु है और उसके घर के सद्दश्यों की संख्या ८ है तो ऐसे में वह अपने परिवार के लिए पौष्टिक भोजन की भी व्यवस्था नहीं कर सकता तो वह अपने बच्चों को शिक्षा कैसे दिला पाएगा !उदाहर्ण के लिए- एक मजदूर जो कठिन परिश्रम करके मात्र ३००० रु मासिक एकत्रित करता है , और उसके घर के सदस्यों की संख्या ६ है तब भी वह उनके लिए पौष्टिक भोजन की भी व्यवस्था नहीं कर सकता ! मान लीजिए उसके घर में प्रतिदिन के भोजन की मात्रा २ किलो आटा , २५० ग्राम चीनी , २५० ग्राम दाल और और एक किलो ग्राम दूध है , जिनकी मासिक लागत क्रमश: आटा =७२० रु , दाल = ६०० रु, चीनी = ९० रु , और दूध = ६६० रु है ! इनका मासिक योग = २०७० रु होता है, जिसमे की मैंने अभी ईंधन और तेल , मसाला आदि मूल्य नहीं जोड़ा है , अगर ईंधन आदि का मूल्य जोड़ दिया जाए तो आंकडा ३००० रु से ऊपर हो जाएगा ! इससे यह सिध्ध होता है की एक गरीब अपने परिवार के लिए भोजन के अलावा कपडे तक की भी व्यवस्था नहीं कर सकता तो उसके लिए अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना सिर्फ एक स्वप्न ही है ! यही कारन है की अभी तक अशिक्षा व्याप्त है ! मै यह देख रहा हूँ की सरकार महंगाई को कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है , जिससे गरीबों का उद्धार हो ! पिछले एक साल में महंगाई की वृद्धि ने जन संख्या वृद्धि को भी पीछे छोड़ दिया , एक साल में तो जन संख्या भी दो गुनी नहीं होती !अत: मै चाहता हूँ की सरकार महंगाई को कम करने के कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है तो कम से कम महंगाई की वृद्धि को रोकने के लिए कोई कारगर प्रयाश करे संतोष कुमार "प्यासा"

3 टिप्‍पणियां:

अपना अमूल्य समय निकालने के लिए धन्यवाद
क्रप्या दोबारा पधारे ! आपके विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं !