मंगलवार, 15 सितंबर 2009

कुछ तो बोलो

समां रंगीन है फिजा है सुहानी दिल के अंजुमन में यादें है पुरानी इस लिए गुजारिश है गुमशुम न रहो कुछ तो बोलो नजरों से इशारे बहुत किएजुदाई का जहर बहुत पीए अब तो अपने दिल का राज खोलो इस लिए गुजारिश है गुमशुम न रहो कुछ तो बोलो शाम है उल्फत भरी उस पर बिजली गिरा गई शिरकत तेरी इस गुजारिश है गुमशुम न रहो कुछ तो बोलोमई अकेले अबतक अप्साने सुनाता रहा तुम्हे देख कर मुश्कुरुता रहा इस लिए गुजारिश है गुमशुम न रहो कुछ तो बोलो यूँ ही इशारों में कहीं ये दिलकश मौशम न रूठ जाए तुम्हे पाने से पहले कहीं मुझे कजा न आए इस लिए गुजारिश है गुमशुम न रहो लैब तो खोलो कुछ तो बोलो "प्यासा"

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