सोमवार, 2 नवंबर 2009

भूत की वास्तविकता

भूत एक ऐसा शब्द जिसे सबने सुना है लेकिन "भूत" शब्द के अर्थ के बारे में शाय्द ही किसी ने विचार किया हो हर प्रकार के कार्य के लिए किसी ना किसी कारण की आवश्यकता होती है
बिना कारण् के कोई भी कार्य संभव नही है ! ठीक उसी प्रकार "भूत" शब्द के निधारर्ण मे अवश्य कोई कारण रहा होगा !
अब हमे भूत शब्द का अर्थ जानना है की इसका मतलब क्या होता है ! "भूत" का अर्थ होता है बीता हुआ जो बीट चुका हो यानी जो
पहले था किन्तु वर्तमान में ना हो ! यह तो हुआ भूत शब्द का अर्थ अब प्रश्न यह उठता है की भूत यानी जो बीत चुका है हमे उससे डर क्यू
लगता है आखिर क्या कारण् है की रात के अंधेरे में जाते ही हमारा मन एक अनजाने से डर क्यू भर जाता है ! इस शब्द का नाम आते ही उत्पन्न डर का मुख्य कारण् है हमारा मन, बचपन से ही हमारे दिमाग मे भूत नाम का डर घूसेड दिया
जाता है की भूत होते हैं और वाही बात हमारे दिमाग मे घर कर लेती है जो हमारे डर का कारण् है ! अब बात आती है की एक च्छोटी सी बात के कारण् हमे भूत कैसे दिखाई देता है ! तो इस विषय पर मनोविग्यान की राय है की यदि
किसी मरीज के दिमाग मे यदि ये बात बैठा दी जाए की वह स्वस्थ हो जाए गा तो वह जल्दी ही ठीक हो जाएगा किसी भी प्रकार की
बीमारी का मुख्य कारण् हमारा दिमाग ही हैं ! मै यहाँ एक उदाहर्न देना चाहूँगा ! मै जो उदाहर्न देने वाला हूँ उसे शाय्द सभी ने देखा
हो ! जब हम किसी जादूगर का जादू देखते है तो जादूगर हमे ऐसी चीजें दिखाता है जो उस समय वहाँ होती ही नही है वह हमारे दिमाग की
कल्पना मात्र होती है ! अब रही ये बात की जादूगर ऐसा कैसे कर लेता है, तो इसके लिए एक मनोवैग्यानी पद्दति है जिसे "मेस्मेरिजम"
कहते ! इस विद्या के द्वारा जादूगर कुछ छनो के लिए हमारे दिमाग मे काबू कर लेता है और हमे विभिन्न चीजें दिखाता है ! "मेस्मेरिजम" के बारे में लिख कर मै इस लेख को बड़ा नही करना चाहता ! कुछ लोग भूतों की तुलना दूसरे ग्रह के प्राणियो से करते है
जो की बिल्कुल गलत है ! दूसरे वग्रह की तो बात च्छोड़िए हमारे प्रथ्वी मे ही वैग्यानिको ने काई दुर्लभ प्रजातियों को ढूंढ निकाला है
लेकिन दूसरे ग्रह के प्राणी और भूतों मे बहुत फर्क है दोनो की तुलना करना मूर्खता ही होगी !!
संगीता जी ने एक बहुत ही अच्छा प्रश्न किया है उनके अनुसार चोरी दुर्घटना आदि उनके साथ नही हुए तो इसका मतलब यह नही की
चोरी आदि नही होती ! तो इस विषय मे कहना चाहूँगा की भूत एवम् चोरी दुर्घटना आदि मे बहुत फर्क है क्यूकी चोरी आदि भले ही हमारे साथ ना होती हो
किन्तु इसके बारे में हम रोज टीवी समाचार पत्रों आदि मे पड़ते रहते है जिनका ठोस प्रमाण होता है लेकिन भूत के विषय मे ऐसा कुछ
भी नही है ! रश्मि जी ने कहा है की जब हम भूत से डर रहे होते है तो उस वक्त हमारी आत्मा कहाँ होती है , तो इसके लिए मै कहूँगा की
"मानेव म्नुष्यना बांधनो मोक्ष कारणम् " अर्थात मनुष्य के बंधन और मुक्ति का कारण् उसका मन ही है ! गीता के अनुस्सार आत्मा मे
अनंत शक्ति लेकिन मन की व्रत्तियों के कारण् यह अपने वाश्त्विक स्वरूप को भूली रहती है यही कारण् है शर्वशक्तिमान आत्मा के होते
हुए भी हम डर जाते है ! अब यहाँ पर कुछ लोग कहेंगे की भूत और आत्मा मे क्या अंतर है तो मै सिर्फ इतना ही कहूँगा की भूत सिर्फ
कल्पना है और आत्मा प्रत्यक्ष ! रवि कुमार जी ने कहा है की भगवान और भूत मे क्या अंतर है ! तो उन्हे मै सिर्फ यही कहूँगा की
शाय्द वो भूल गये है की आत्मा ईश्वर का दूसरा रूप है जो की प्रत्यक्ष है और भूत एक मानषिक कल्पना मात्र ]
मेरा ये लेख आप को कैसा लगा क्रपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें , भूत प्रेतों के विषय मे कोई भी प्रश्न हो मुझसे अवश्य पून्छे

13 टिप्‍पणियां:

  1. भूत के बारे में आपकी विवेचना से मैं बिल्‍कुल सहमत हूं .. पर आपका यह कहना कि‍ भूत और चोरी या दुर्घटना में बहुत फर्क है .. समाचार पत्रों में जिस बात का उल्‍लेख किया जाता है .. वह तो आज के लोगों की मानसिकता होती है .. इससे आप सही तथ्‍य पर नहीं आ सकते .. भूत देखने वालों की बात पर विश्‍वास न कर आप उन्‍हें एक मिनट में पागल मान लें .. जबकि उन्‍होने अपने जीवन में पागलों वाली और कोई हरकत नहीं की है .. तो आप ऐसा मानने के लिए स्‍वतंत्र हैं .. पर सबको इस बात का विश्‍वास दिला पाना तो असंभव ही है .. क्‍यूंकि कुछ लोग उसकी बात पर भी अवश्‍य विश्‍वास करेंगे !!

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  2. mera ek aalekh hai,ispe gaur karen.........



    What is life? What is death? What are spirits?


    Is spirit also born with the birth of a child?If yes then it also dies with the death of a being.But in Geeta Lord Krishna said -

    "Nainam chhidanti shastrani, Nainam dahati pavakah, Na chainam kledayantyapo, Na shoshyati marutah"


    Spirit is immortal.
    This means that with the death, a body is destroyed but not the spirit. And since spirit remains after the death also, then definitely there is a life after death.Human beings are still trying to unwind the mystery of the life which exists after death.All the sudden feelings such as feeling of someone behind the back though no exist, feeling of someones foot steps etc. prove that there exists a life after death.


    True Experiences :

    Narrated By Smt. Saraswati Prasad -


    "When my husband died, I became completely alone. I had no knowledge of anything other than houshold works. There was no source of income other than my husband's pension etc. and I had to run to offices for that money. To get the pensions and all I had to submit some important documents in the office. I searched for those documents at all possible places like my husband's briefcase etc, where my husband could have kept those papers but found them no where. At last after losing all hope, I started crying and blaming my husband for not telling me about those things when he was alive. After a while, I slept and while sleeping I felt as if my husband was sitting beside me and kept his hand on my forehead (I really felt that touch). He said-"Don't lose hope, Wake up and search for those papers in my briefcase again."I replied to him angrily, "What to see there? I have already searched it thoroughly."But he held my hands and said "Wake up, search in that briefcase again." Suddenly i woke up. I went and opened the briefcase again and those papers were kept on the top only. It was a miracle."


    Now the question arises how is this possible? Whether you believe it or not, it is true and this proves that life exists even after death and those good spirits help us in times of difficulties.

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  3. आत्मा अच्छी और बुरी होती है......और अकस्मात कुछ हो तो भय लगता है,और यह नाम'भूत' -उस भय को प्रगट करता है,
    बस ---------- वैज्ञानिक शोध, और अध्ययन से जो हम जानते हैं,उससे परे भी बहुत कुछ है

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  4. मेरे विचार इससे पृथक हैं.......मैंने भूत नहीं देखा है,पर बहुत कुछ अनुभव किया है.....
    जीवन में कई पल ऐसे आते हैं,जब आप मृत्यु के निकट होते हैं,पर आत्मशक्ति से
    जी जाते हैं.............क्या सच में हम जी जाते हैं या फिर इक्षाशक्ति आत्मा के स्वरुप में
    कार्य करती है?

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  5. मैं इस धारण में विश्वास करता हूं कि भूत होते हैं। भूत को कहीं बाहर या विरान जगह में देखने-खोजने की जरूरत नहीं। भूत तो हम इंसानों के बीच हर वक्त मौजूद रहता है।

    भूत इंसानों से ज्यादा समझदार होते हैं। संवेदनशील होते हैं। भूत डराते नहीं हम स्वयं ही भूत से डरे-डरे से रहते हैं। भूत की विचारधारा पर किसी तरह का प्रश्नचिंह लगाने से पहले हमें भूतों के मनोविज्ञान को समझना होगा।

    यहां तो हर इंसान के भीतर भूत छिपा बैठा है। पर यह हम इंसानों की बेवकूफी है कि हम अपने ही भूत को नहीं पहचान पाते।

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  6. संतोष जी,, मैने आप का लेख पढ़ लिया।.....आप परोक्ष रूप से भूतो या आत्मा जो भी आप कहना चाहे उसी का पक्ष रख रहे हैं.....यही तो लेख मे कहा है कि धार्मिक ग्रंथॊ मे भी ऐसा लिखा है...
    .@शाय्द वो भूल गये है की आत्मा ईश्वर का दूसरा रूप है जो की प्रत्यक्ष है और भूत एक मानषिक कल्पना मात्र ]@
    यहाँ सवाल यह है कि क्या किसी ने आत्मा या परमात्मा को देखा है?.....जिसे आप देख नही सकते उसे मान क्यो रहे हैं?.......यहाँ इसी सूक्ष्म शरीर को तो मानने और ना मानने की चर्चा हो रही है....
    मेरी पोस्ट पढ़ने की कृपा करें।धन्यवाद।

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  7. रश्मि जी आपने जो बात कही है वो सही
    आत्मा अजर अमर है वो तीनो कालो में रहती है
    लेकिन आत्मा और भूत में फर्क है
    आध्यात्मिक ग्रंथो में लिखा है कुछ अलौकिक शक्तियां है जो
    हमारा साथ देती लेकिन आज तक कोई इस तथ्य तक नहीं पहुँच पाया
    की वे क्या है और क्यों है उन शक्तियों ने स्वयम को रहस्य के चादर
    से दक् रखा
    भूत जो था और आत्मा वोह है जो तीनो कालों में रहती है
    मैंने वेद और योग दर्शन शास्त्र को पड़ा है
    उसके बाद निष्कर्ष निकाल कर लिख रहा हूँ आत्मा एवं भूत में फर्क है
    आत्मा अविनाशी लेकिन भूत मन ki कल्पना मात्र !
    आपके पास यदि कोई और प्रश्न ho to अवश्य पूंछे

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  8. ji aapne sahi kaha vigyanik pahalu se pare bhi bahut cheejen hai

    jahaan se vigyan ka ant hota hai vahi se adhyaatm ki suruat hoti hai

    aur rahi baat aatma ke aachchhe ya bure hone ki to adhyaatm kahta hai shareer ke sampark me aakar
    aatma man ki vratti se ghir jaati jisse vah apne swaroop ko bhool kar anaawshyak kaary karti hai
    lekin jab aatma shareer se prathak hoti hai to voh sabhi vikaaro se door rahti hai
    vah us samay swym bhagvaan roop hoti hai
    aur bhagvaan achchha hi karega bura nahi

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  9. jo shaktiyaan bhagvaan me hai vahi aatma me


    teen shaktiya sabse balvati hai
    aatm shakti ichhhashakti aur manobal
    inke dwara ham aashchary janak kary kar sakte hai
    aatma ek diwy alaukik shakti hai ise nakara nahi ja sakta
    ye teen shaktiya sab me hoti hai lekin
    har manushy inse aashchary janak kaary nahi kar sakta kyuki
    aatma man ki vrattiyon me aakar fas jaati hai
    isi lie yog aadi kiya jata hai taaki aatma aapne vaashtvik roop ko pahachhan sake


    prashn poonchhne ke lie dhanyvaad koi prashn ho to aavashy poonchhe

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  10. PARAM JEET JI

    AATMA KA ASTITW HAR SAMAY HAR CHHAN
    DIKHAAI PADTA HAI LEKIN BHOOT KA NAHI
    MANUSHY KI SAJEEWTA YAH SIDHH KARTI HAI KI AATMA HAI
    LEKIN AAP EK BATA DIJIE JO BHOOT KA ASTITW SAABIT KARE
    MAI AISI KAI YUKTI YUKT BAAATE BATA DOONGA JISSE AATMA AUR BHAGVAN KA
    ASHTITW SIDHDHH SIDHDHH HO MJAAEGA LEKIN AAP EK CHEEJ
    BATAAIE JO YAH SIDHDH KARE KI BHOOT HAI

    AATMA AUR BHOOT ME FARK HAI
    BHOOT VOH HAI JO BEET CHUKA HOTA HAI
    LEKIN AATMA TEENO KAALON ME VIDHMAAN HAI

    AGAR AAPKE JAHAN ME ABHI BHI KOI PRASHN HO TO AVSHY POONCHHE

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  11. "क्यूकी चोरी आदि भले ही हमारे साथ ना होती हो
    किन्तु इसके बारे में हम रोज टीवी समाचार पत्रों आदि मे पड़ते रहते है जिनका ठोस प्रमाण होता है"

    सच कहूं तो मुझे तो आपका ये तर्क बेहद बचकाना लगा । आपके कहने का अर्थ ये है कि जो कुछ भी टीवी समाचार पत्र/पत्रिकाओं में छपता है,वही एक परम सत्य है :)
    ऎसे विषयों पर लिखने के लिए अभी आपको अपने अध्ययन के दायरे को थोडा ओर विस्तृ्त करने की आवश्यकता है.......
    आशा करता हूँ कि आप मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लेंगें ।

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अपना अमूल्य समय निकालने के लिए धन्यवाद
क्रप्या दोबारा पधारे ! आपके विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं !