ललित फलित मनभावन संसार
गूँज रहा दिग-दिगंत तक कोयल का मधुर स्वर
बह रही दसो दिशाओं में खुशियों की लहर
हो रहा आनंद का उदगम, ये अदभुत क्षण है अनुपम
तृप्त हुए सभी, चख कर ये सरस रस
टूट रहा जाति, पाति का झूठा भ्रम
उदित हुआ सूर्य लेकर नव जीवन
सौहार्द की बूंदों में, मिलकर भीगे हम
सुन्दर शब्दों से सजी... सुन्दर रचना .....प्रशंसनीय सर्जन ..बधाई स्वीकारे ...आपकी प्रोफाइल पढ़ी बहुत ही साफ़ दिल के इंसान हो....कुछ करने की तमन्ना रखते हो ....जरूर करोगे ....इतनी कम उम्र में अच्छा लिखते हो .....बस लिखते रहो ......एक दिन मंजिल खुद आपके सामने होगी ...बस रस्स्ते में कहीं हार के मत बैठना ..मेरी शुभकामनाये आपके साथ है मेरे नन्हे दोस्त
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