सोमवार, 12 जुलाई 2010

शिक्षा और जीवन----------सन्तोष कुमार "प्यासा"

जिव जगत में मनुष्य का विशिष्ट स्थान होने का कारण मनुष्य की बुद्भी है ! बौद्धिक विकाश हेतु आवश्यक है शिक्षा ! शिक्षा ही वह उपादान है जो मनुष्य के बौद्धिक स्तर को बढ़ा कर उसके जीवन को सुखद बनाता है ! शिक्षा बिना मानव जीवन पंगु है ! वैशेषिक दर्शन में कहा गया है की-

                               "कारण गुणपूर्वक: कार्य गुणों दृष्ट:"

अर्थात उपादान कारण के गुणानुसार कार्य में गुण विधमान होते है ! जैसे घड़े के उपादान मिटटी के कारण गुनानुसार मिटटी में गुण विधमान है ! ठीक उसी प्रकार जिस मनुष्य के पास जैसी शिक्षा होगी उसकी बुद्धि वैसी ही होगी ! शिक्षा के द्वारा मनुष्य अपना विकाश तो करता ही है ! साथ में समाज का विकाश भी विवेकवान मनुष्य द्वारा ही होता है ! किसी भी व्यक्ति या समाज के उन्नति का मूल शिक्षा है !शिक्षा के प्रभाव से मनुष्य में शिष्टाचार, सदाचार, समाज का ज्ञान इत्यादि गुण उतपन्न होते है ! वर्तमान समय में भारत की शिक्षा शैली में कोई न कोई कमी अवश्य है ! यही कारण है की "जगत गुरु" कहलाए जाने वाले भारत में आज शिक्षा की दशा सोंचनीय है ! हमें चाहिए की हम भारत में शिक्षा की ऐसी लहर चलाएँ जो शहर-शहर, गाँव-गाँव और घर-घर को महका दे ! और एक बार पुन: दुनिया भारत को उसके पुराने रूप {"जगत गुरु"} में जाने ! "जगत गुरु" की उपाधि से पुन: भारत को गौरोवान्तित करें ! नए रूप में पुराने भारत को उसकी पुरानी गरिमा को दिलाने का प्रयाश करें ! शिक्षा से बुद्धि का बुद्धि से मनुष्य का और मनुष्य से समाज का विकाश होना अटल सत्य है !................

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