लुट गया है सब कुछ,अब भला ये दिल बेक़रार क्यूँ हैं
ऐ सितमगर तुझसे अबतलक मुझको प्यार क्यूँ हैं
जब भी धड्कीं हैं ये, कोई नया गम दे गई मुझको
दिल की धडकनों पर भला अब भी मुझको एतबार क्यूँ हैं
जिसका आना नहीं मुमकिन वापस लौट कर
न जाने उस इक पल का मुझको इंतजार क्यूँ हूँ
निगाहें तो कर चुकीं कब का इजहारे इश्क मुझसे
खुदा जाने तेरे लबों पर अबतलक इंकार क्यूँ हैं
वाह ..
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति !!
बेहतरीन शब्द, बहुत ही अच्छे तरीके से समझाया है।
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