गुरुवार, 13 जनवरी 2011
प्रभा तुम आओ {गीत} सन्तोष कुमार "प्यासा"
आलोकित हों छिटके ओसकण
तरुवर के
गुंजित हो चहुदिश, सुन राग
सरवर के
नव-प्राण रश्मि लेकर
हे प्रभा! तुम आओ
संचारित हो नव उर्जा
पुलकित हों जन-तन-मन-जीवन
दिक् दर्शाओ रविकर
मिटें निराशा के तिमिर-सघन
मनोरम उपवन सा, धरा में
स्नेह सुरभि महकाओ
नव-प्राण रश्मि लेकर
हे प्रभा! तुम आओ
ज्यों विस्तृत होतीं, द्रढ़ साख संग
कोमल बेलें
त्यों उर में सौहार्द भर
हम दीनो को निज संग लेले
सजीव हो परसेवा की उत्कंठा
जीवन में ज्ञान सुधा बरसाओ
नव-प्राण रश्मि लेकर
हे प्रभा! तुम आओ...
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भक्ति भाव से परिपूर्ण कविता पढ़कर मन को सकूँ और चैन मिला ..आपके ब्लॉग पर आना... जीवन को नयी उर्जा दे गया ..यूँ ही अनवरत लिखते रहें .....हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंप्रभु को पुकारने का अच्छा प्रयास है ..और जब सच्चे दिल से प्रार्थना की जाती है तो ईश्वर अवश्य स्वीकार करते हैं ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है
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