शनिवार, 14 नवंबर 2009
जब जब उठी कलम
जब मैंने कविता लिखने की शुरुआत की थी तब इसे लिखा था ! आशा है की आपको मेरी
ये कविता पसंद आएगी !
जब जब उठी कलम तो एक तूफान आया/एक कयामत आई
सैलाब आया !
कवी ने उठाई कलम तो कल्पना के सागर में डूबा, लिखी कुछ कवितायेँ
दुनिया बोली ये कैसा इंसान आया !
जब किसी प्रेमी ने उठाई कलम तो अपनी प्रियसी के प्यार का चाहत का
ऐतबार का अप्शाना लिख डाला
प्यार के सागर में अजीब उफान आया!
शायर ने उठा कर कलम लिखी गजल, की शायरी कुछ मुहब्बत भरी कुछ नजाकत भरी
लगा चलने आदमी के संघ अनजान साया !
उठी कलम जब पत्रकार की, ढूढने लगा खबरे कुछ सच्ची कुछ झूठी समाज हुआ भ्रष्ट
यही उसका बयान आया !
उठाई कलम जब किसी दार्शनिक ने, बताने लगा, क्या है सत्य और मिथ्या, क्या है
मानव जीवन !
पहले आया घर, पाया माँ का वात्सल्य पिता के प्यार में खेला, बड़ा हुआ शादी हुई,
पत्नी आई, निभाया गृहस्थ जीवन, देकर खुशियाँ बच्चों को होकर जीवन से निवृत
आखिर में शमशान आया !
किसी समाज सेवक ने जब उठाई कलम सोंचने लगा समाज के बारे में फिर लिखने लगा
लिखते लिखते रुक गई उसकी कलम देख कर समाज में व्याप्त "अत्याचार" व्यभिचार"
भर गईं उसकी आँखे , सिशक कर बोला मानव के रूप में हैवान आया !
इतना लिख कर भी न बुझी "प्यास" कलम की! लेखक अभी भी है "प्यासा"
पता नहीं क्यों कवी के दिलो दिमाग में फिर कोई ख़याल अनजान आया
संतोष कुमार "प्यासा"
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जीवन है तो सुख सफलता के साथ समस्याएं तो बनी ही रहेगी .. पर बहुत आयामों को समेटता है कलम .. बहुत ताकत है कलम में .. सचमुच लेखक की प्यास मिट नहीं सकती !!
जवाब देंहटाएंbehtareen bhaw sanyojan
जवाब देंहटाएंरचना लम्बी है मगर बहुत भाव से आस।
जवाब देंहटाएंनाम भले संतोष हो खूब बढ़ दी प्यास।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
भई यह "प्यासा " जैसा उपनाम रखने का आजकल प्रचलन नही है । इसके पीछे कोई विशेष कारण है क्या ?
जवाब देंहटाएंकवि की भावनाओ को व्यक्त करती रचना ..........
जवाब देंहटाएंआप युही लिखते रहे इसी आशा के साथ इतना कहूँगा
कलम चला दी कवि ने, भेज दी आपके पास
शब्द रहेंगे जबतक दुनिया में, नहीं बुझेगी 'प्यासा' की प्यास