झूठ हमारा नहीं हमारे पूर्वजो का संस्कार है
जनता, नेता, अभिनेता सबको यह स्वीकार है !
झूठ बोले बिना आजकल गाडी नहीं चलती है
झूठ बोलने से कभी-कभी सफलता भी मिलती है !
जो जितना ज्यादा झूठ बोलता है वो उतना ज्यादा पाता है
इतिहास उठा कर देख लो सच बोलने वाला पत्थर ही खता है !
सबको पाता की झूठे का बोल बाला है !
झूठ तो कुछ है ही नहीं, जहां तक मुझको ज्ञान है
ये मै नहीं कहता कहते वेद पुराण है !
"सर्व खल्विदं ब्रह्म" छान्दोग्योप्निशत का यह मन्त्र है एक
सच और झूठ की लड़ाई अब मुझसे नहीं जाती देख !
जो होता है वो होने दो मेरा यह विचार है
झूठ हमारा नहीं पूर्वजों का संस्कार है !
यथार्थ...एकदम सत्य कथन। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi rachna lagi aapki badhai
जवाब देंहटाएंझूठ हमारा नहीं हमारे पूर्वजो का संस्कार है
जवाब देंहटाएंजनता, नेता, अभिनेता सबको यह स्वीकार है !
सच है जैसा बीज बो ओगे वैसा ही काटोगे सुन्दर रचना शुभकामनायें
झूठे का बोलबाला सच्चे का मुह काला
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रचना बधाई
bahut hi sahi, bahut hi badhiyaa
जवाब देंहटाएंअगर तूफ़ान में जिद है ... वह रुकेगा नही तो मुझे भी रोकने का नशा चढा है ।
जवाब देंहटाएंहूँ....पूर्वजों के संस्कार आपने अपनाये की नहीं ......!?!
जवाब देंहटाएंझूठ पर यह एक अच्छी कविता है । राजेश जोशी की " झूठ एक बाजे की तरह बजता था " कविता कहीं मिले तो पढें ।
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंtheek kaha .jhoothey ka bolbala sachchey ka........!
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