मंगलवार, 25 अगस्त 2020

क्यों मायूस रहती हो



हर दिन बढ़ रही है बेचैनी 

अब लगते हर साज फीके से 

अब क्यों मायूस रहती हो 

क्यों हुए ये अंदाज फीके से 

सुनो तुम एक बात मेरी ये

न बेवजह उलझो ख़यालों में   

अपनी बेचैनी का सबब ढूंढो 

तुम अपने ही सवालों में 

तुम्हे तो मालूम ही है ये

कि मै तुम्हारे दिल कि हर

बात बिन कहे जान लेता हूँ 

तुम सच कहो या बोलो झूठ 

मै हँसके मान लेता हूँ

अक्सर बनाती हो कई बातें

फिर उनमे उलझ सी जाती हो  

जो मुझसे छुप नहीं सकती 

तुम क्यों वो बाते छुपाती हो  

न शिकवा है तुम से कुछ, 

न कोई शिकायत होगी 

कह दो जो बात दिल में है 

ये तुम्हारी इनायत होगी 

सुनो, नहीं ये आरज़ू मुझको 

की तुम मेरी ही बन जाओ 

मेरी चाहत बस इतनी है

हमेशा खुश रहो, मुस्कुराओ  

अब बस इतना करो तुम की

न उलझो बेवजह सवालों में 

मुस्कुराओ दो कि फिर रंगत 

आये कुदरत के जमालों में 

चलो अब ये वादा करो मुझसे

कि न कोई बात छुपाओगी

कोई उलझन हो या परेशानी 

मुझसे खुलकर बताओगी    

अभी कमसिन हो तुम, ये सोंच कर 

तुम्हारी गलतियां फिर से भूल जाऊंगा 

तुम ही तो रंग-ए-हयात हो मेरी 

तुम्हे दिल से अपने गले लगाऊंगा  



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